भारत में EV Charging Network की हकीकत: 2025 की एक ग्राउंड रिपोर्ट
देश में इलेक्ट्रिक वाहनों की रफ्तार तेज़ हो चुकी है। अब जब हर कोई पर्यावरण को बचाने और ईंधन की लागत से बचने की सोच रहा है, तो EV यानी Electric Vehicles की लोकप्रियता हर दिन नई ऊंचाई छू रही है। लेकिन सवाल ये है – क्या EV Charging Network in India उतना तैयार है जितनी तेजी से लोग EV अपना रहे हैं?
इस सवाल का जवाब आसान नहीं है, लेकिन इस रिपोर्ट में जो जानकारी सामने आई है, वो उम्मीद से कहीं ज़्यादा दिलचस्प और ज़रूरी है।

2025 की शुरुआत तक, भारत में कुल 26,367 Public EV Charging Stations मौजूद हैं। इनमें से 50% से अधिक, यानी करीब 13,299 स्टेशन, केवल साल 2024 में ही लगे हैं। ये आंकड़े बताते हैं कि देश में EV Charging Growth 2024 में बूम पर रहा। खासकर Tier-1 शहरों और अब Tier-2 व Tier-3 क्षेत्रों में भी EV चार्जिंग का जाल बिछाया जा रहा है।
EV Charging Stations India में इतनी तेजी से क्यों बढ़े?
इसका मुख्य कारण है – सरकार की सक्रियता, जनता की जागरूकता और उद्योग जगत की ईमानदार भागीदारी।
सरकार ने जो सबसे बड़ा कदम उठाया, वह था PM E-DRIVE Scheme, जिसे सितंबर 2024 में लॉन्च किया गया। इस योजना के तहत दो सालों के लिए 10,900 करोड़ रुपए का बजट तय किया गया है, जिसमें से 2,000 करोड़ रुपए सिर्फ चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए हैं।
इस स्कीम के 3 प्रमुख उद्देश्य हैं:
- एक interoperable charging network बनाना
- इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण के लिए viability gap funding देना
- राज्यों को उनकी ज़रूरतों के हिसाब से EV नीतियों को लागू करने का अधिकार देना
Public EV Infrastructure में कौन से राज्य आगे हैं?
Karnataka सबसे आगे है, खासकर बेंगलुरु की वजह से, जहां टेक-फ्रेंडली माहौल ने चार्जिंग नेटवर्क को मजबूत किया है।
इसके बाद Maharashtra, Delhi, Uttar Pradesh और Tamil Nadu आते हैं। ये राज्य न केवल औद्योगिक रूप से विकसित हैं बल्कि इनमें ई-मोबिलिटी को लेकर जागरूकता भी अधिक है।
दूसरी ओर, Ladakh, Lakshadweep और Andaman & Nicobar Islands जैसे क्षेत्रों में EV charging stations की संख्या बहुत कम है, क्योंकि यहां पहुंच और भौगोलिक स्थिति बड़ी चुनौती पूर्ण है।
EV Chargers India में Standardisation और Interoperability कितनी जरूरी है?
चार्जिंग नेटवर्क को मजबूती तभी मिल सकती है जब उसमें समानता हो। 2024 में Ministry of Power द्वारा जारी गाइडलाइन्स में ये साफ किया गया कि चार्जर में एक जैसे OCPP protocols, CCS2, CHAdeMO, और Bharat-DC sockets का इस्तेमाल हो।
अगर कोई ग्राहक एक ब्रांड के EV को दूसरे ब्रांड के चार्जर से न चार्ज कर पाए तो EV का भरोसा कमजोर हो जाता है। इसलिए Interoperability एक जरूरी कदम है, जिसे अभी और गंभीरता से लेने की जरूरत है।
Fast Chargers India में निजी क्षेत्र की बड़ी भूमिका
EV charging network को गति देने में प्राइवेट कंपनियों की भूमिका किसी रीढ़ की हड्डी से कम नहीं है।
Tata Motors ने 2027 तक अपने fast charger नेटवर्क को 4 लाख तक बढ़ाने की योजना बनाई है, जिसमें से 30,000 नए public EV charging points जोड़े जाएंगे। इसके अलावा एक विशाल Mega Charger Corridor का निर्माण भी हो रहा है जो ट्रकों और long-range वाहनों को सपोर्ट करेगा।
वहीं, Maruti Suzuki ने भारत के टॉप 100 शहरों में हर 5-10 किलोमीटर पर fast charger लगाने की योजना बनाई है। साथ ही, कंपनी एक Battery-as-a-Service मॉडल भी ला रही है, जिससे EV की कीमत कम होगी और चार्जिंग टाइम भी घटेगा।
EV Grid Capacity और Commercial Challenges
EV chargers जितने ज़रूरी हैं, उतना ही ज़रूरी है उनका sustainable होना। लेकिन अभी के हालात में कुछ बड़ी चुनौतियाँ भी हैं:
- Grid Capacity का मुद्दा अहम है। तेज़ी से बढ़ते fast chargers, ग्रिड पर बोझ डाल सकते हैं, खासकर छोटे शहरों और गांवों में।
- High CapEx (Capital Expenditure) यानी भारी लागत से निजी निवेशक पीछे हट सकते हैं, अगर उन्हें सरकारी सहयोग न मिले।
- कई जगहों पर EV चार्जर कम इस्तेमाल हो रहे हैं जिससे Return on Investment (ROI) प्रभावित होता है।
- ग्राहकों के लिए बहुत सारे apps और अलग-अलग payment systems का होना confusing है। एक unified system और easy discovery platform की जरूरत महसूस होती है।

EV Charging Network 2025 में कहाँ तक पहुंचा और आगे का रास्ता
Confederation of Indian Industry (CII) की रिपोर्ट बताती है कि भारत को 2030 तक करीब 1.32 million EV chargers की जरूरत होगी। इसका मतलब हुआ हर साल 4 लाख से अधिक चार्जिंग पॉइंट्स का निर्माण।
इस लक्ष्य को पाने के लिए कुछ प्रमुख रणनीतियाँ हैं:
- Zonal planning के तहत ग्रिड से जुड़े और सौर ऊर्जा से चलने वाले EV हब बनाने होंगे।
- Public-private partnership से अर्ध-शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों को कवर करना होगा।
- Smart charging और V2G (Vehicle to Grid) जैसे advanced solutions अपनाने होंगे ताकि बिजली की peak demand को control किया जा सके।
- एक digital unified platform बनाया जाए जहां से उपभोक्ता चार्जर की जानकारी, भुगतान और हेल्थ डिटेल्स एक जगह देख सकें।
EV Public-Private Partnership से ही बनेगा भरोसेमंद Future
EV charging network को मजबूत बनाने में केवल सरकार या प्राइवेट कंपनियां अकेले कुछ नहीं कर सकतीं। ये एक जिम्मेदारी साझा करने वाला सफर है, जहां नीति-निर्माता, कारोबारी, और ग्राहक – तीनों की भागीदारी ज़रूरी है।
2025 में EV charging ecosystem ने एक मजबूत आधार तैयार कर लिया है, लेकिन भविष्य की रफ्तार इस बात पर निर्भर करेगी कि इसे किस तरह से scalability, reliability और affordability के साथ आगे बढ़ाया जाता है।
निष्कर्ष
भारत की EV यात्रा एक अहम मोड़ पर है। चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर में जो उछाल पिछले सालों में देखने को मिला, वह सराहनीय है, लेकिन इसे बनाए रखने के लिए नीति, नवाचार और निवेश का संतुलन बेहद ज़रूरी है। जब तक एक Unified, Inclusive और User-Friendly EV Charging Network तैयार नहीं होता, तब तक लाखों भारतीयों के लिए EV अपनाना एक सपना ही बना रहेगा।
पर अगर ये कदम सही दिशा में उठते रहें, तो भारत न सिर्फ अपनी जरूरतें पूरी करेगा, बल्कि दुनिया को भी दिखाएगा कि Electric Mobility का sustainable future कैसा होता है।
Disclaimer:
यह लेख सार्वजनिक स्रोतों, सरकारी रिपोर्ट्स और प्रकाशित खबरों पर आधारित है। इसमें दी गई जानकारी पूरी सटीकता से तैयार की गई है लेकिन समय के साथ आंकड़ों और योजनाओं में बदलाव संभव है। कृपया किसी भी निवेश या योजना से पहले संबंधित विशेषज्ञ या सरकारी वेबसाइट से पुष्टि अवश्य करें।