इलेक्ट्रिक कार (Electric Car) तेजी से बाजार पर अपनी पकड़ मजबूत कर रही है। लोगों का रुझान इलेक्ट्रिक कारों (Electric Cars) की तरफ तेजी से बढ़ रहा है। पेट्रोल एवं डीजल कारों की तुलना में अधिक कीमत होने के कारण लोग इलेक्ट्रिक कारो को लेने का निर्णय नही ले पा रहे। इलेक्ट्रिक कार (Electric Car) के महंगे होने की मुख्य वजह इसमें लगने वाला लिथियम आयन बैटरी है।
भारत की अग्रणी इलेक्ट्रिक कार (Electric Car) Tata Nexon जो 30 kWh की बैटरी के साथ आती है, के सामान्य लिथियम आयन बैटरी की कीमत लगभग 5.5 लाख से 6.5 लाख के बीच आती है और सुपीरियर क्वालिटी के लिथियम आयन बैटरी की कीमत 10 लाख तक पहुंच जाती है।
लागत अधिक होने का एक मुख्य कारण यह भी है कि भारतीय कार निर्माता, लिथियम आयन बैटरी के लिए विदेशी कंपनियों पर निर्भर है। भारतीय कंपनियां भी तेजी से देश में ही कम लागत वाली लिथियम आयन बैटरी बनाने के ऊपर काम कर रही है, जिसे भारत सरकार का साथ मिल रहा है। उम्मीद है आने वाले दिनों में जल्द ही इलेक्ट्रिक कारो में लगने वाली बैटरी की कीमतें तेजी से कम होगी, जिससे इलेक्ट्रिक कारो की कीमते पेट्रोल और डीजल इंजन वाली कारो के आस पास हो जायेगी।
जो लोग इलेक्ट्रिक कारो को लेने का मन बना रहे हैं और इसकी ज्यादा कीमत की वजह से निर्णय नही ले पा रहे तो यहां इलेक्ट्रिक कारो के फायदे और नुकसान के बारे मे जान लेना चाहिए। इलेक्ट्रिक कारों के ऊपर ज्यादा पैसे खर्च करना फायदे का सौदा है या घाटे का इसको समझने के लिए नीचे लिखे सभी बिंदुओं पर ध्यान देने से निर्णय लेना आसान हो जाएगा।
देश की अग्रणी इलेक्ट्रिक कार (Electric Car) निर्माता कंपनी टाटा की Nexon EV सबसे ज्यादा बिकने वाली कार है, नॉर्मल पेट्रोल, डीजल Nexon कार के मिड वैरिएंट एवं Nexon EV कारों की कीमत में लगभग 4 से 5 लाख रुपए का अंतर है।
विभिन्न सोर्स एवं कंपनी द्वारा उपलब्ध डाटा के अनुसार एक पेट्रोल/डीजल Nexon कार को चलाने में 5 सालों में लगभग 5 से 6 लाख रुपए का खर्च आता है। इन खर्चों में 5 साल में लगने वाले पेट्रोल/डीजल की कीमत तथा मेंटेनेंस खर्च शामिल है। अगर हम इवी कार (EV Car) की बात करें तो इतने ही समय में लगने वाले बिजली का खर्च एवं मेंटेनेंस लागत मिलाकर खर्च ₹ 1 लाख से कम है।
ईवी कारों को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न राज्यों की सरकारें इन कारों के रजिस्ट्रेशन एवं इंश्योरेंस पर छूट दे रही हैं। यह छूट 1.5 से 2 लाख रुपए के बीच है। अगर आपके राज्य में सरकार इस तरह की छूट दे रही हैं तो इसका लाभ आपको अवश्य लेना चाहिए क्योंकि यह छूट सीमित समय के लिए ही सरकार दे पाएंगी।
ईवी कारो (EV Cars) का मेंटेनेंस कॉस्ट नहीं के बराबर है। Consumables में टायर, विंड वॉशर फ्लुएड, ब्रेक पैड एवं एसी फिल्टर जैसे मामूली सामनो की ही आवश्यकता है।
जैसा कि हम सभी जानते हैं ईवी कार (EV Car) नहीं के बराबर Pollution पैदा करती हैं और हमें Proud फील कराती हैं कि हम अपने वातावरण को बचाने में भी अपना योगदान दे रहे हैं।
ईवी करो (EV Cars) की अधिक कीमत के अलावा जो मुख्य Disadvantage है वो इसकी माइलेज और बैटरी चार्जिंग स्टेशन कि आसान उपलब्धता को लेकर है।
ईवी कार बनाने वाली सभी कंपनियां लगातार रिसर्च एवं डेवलपमेंट के माध्यम से ईवी कारो (EV Cars) के परफॉर्मेंस के सुधार में लगी हुई है और आने वाले समय में इनकी माइलेज में कई गुना बढ़ोतरी होने की संभावना है।
चार्जिंग स्टेशन की समस्या को खत्म करने के लिए सरकारी और प्राइवेट कंपनियां तेजी से अपने चार्जिंग स्टेशन जगह जगह लगा रही हैं। सिर्फ टाटा पावर ने ही नवंबर 2021 तक पूरे देश में 1000 चार्जिंग स्टेशन इंस्टॉल कर चुकी है। साथ ही इंडियन ऑयल जैसी गवर्नमेंट की कंपनी भी अपने कन्वेंशनल पेट्रोलियम बिजनेस से अलग इलेक्ट्रिक पावर स्टेशन इंस्टॉलेशन के क्षेत्र में बड़ा इन्वेस्टमेंट कर रही है।
इलेक्ट्रिक व्हीकल के क्षेत्र में जिस तरह से विश्व की अग्रणी कंपनियां और सरकारे काम कर रही हैं निश्चित है कि इलेक्ट्रिक कारों का भविष्य उज्जवल है और इलेक्ट्रिक कार (Electric Car) खरीदने का निर्णय किसी भी तरीके से घाटे का सौदा साबित नहीं होने वाला है।