इलेक्ट्रिक कार निर्माण के लिए भारत सरकार की नई योजना (Electric Car Manufacturing Scheme India): वैश्विक EV कंपनियों के लिए सुनहरा अवसर
भारत में electric car revolution अब एक नए मुकाम की ओर बढ़ रहा है। यह केवल एक तकनीकी बदलाव नहीं है, बल्कि भारत को स्वच्छ और आत्मनिर्भर भविष्य की दिशा में ले जाने वाली एक क्रांतिकारी पहल है। केंद्र सरकार ने इलेक्ट्रिक कारों के घरेलू निर्माण को बढ़ावा देने के लिए एक नई योजना (Scheme to Promote Manufacturing of Electric Passenger Cars in India) के तहत आवेदन प्रक्रिया के लिए एक विशेष पोर्टल लॉन्च किया है। यह पहल देश और दुनिया भर की बड़ी ऑटोमोबाइल कंपनियों के लिए एक सुनहरा अवसर है।

Electric Car Scheme India: क्या है योजना की खास बातें?
भारत सरकार द्वारा मार्च 2024 में अधिसूचित इस स्कीम का नाम है – Scheme to Promote Manufacturing of Electric Passenger Cars in India। Electric Car Scheme योजना के तहत योग्य ऑटो निर्माता कंपनियों को भारत में EV उत्पादन के लिए निवेश करने पर आयात शुल्क में भारी छूट दी जाएगी।
वर्तमान में EVs पर 70% से 100% तक आयात शुल्क लगता है, लेकिन इस योजना में भाग लेने वाली कंपनियां सिर्फ 15% शुल्क पर 8,000 इलेक्ट्रिक गाड़ियों को भारत में ला सकेंगी। मगर इसकी शर्त है कि उन्हें ₹4,150 करोड़ का निवेश करना होगा।
भारत सरकार की नई EV Scheme और Electric Car Manufacturing का भविष्य
Heavy Industries Ministry द्वारा शुरू की गई यह योजना (EV Scheme) 15 मार्च 2024 को अधिसूचित की गई थी, लेकिन अब इसके लिए ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। Union Heavy Industries Minister एच. डी. कुमारस्वामी ने इस पोर्टल का उद्घाटन किया और जानकारी दी कि 21 अक्टूबर 2025 तक आवेदन स्वीकार किए जाएंगे।
इस योजना (EV Scheme) के तहत दुनिया की बड़ी EV कंपनियां अब भारत में कार निर्माण की योजना बनाकर कम आयात शुल्क का लाभ ले सकती हैं। योजना के अंतर्गत यदि कोई कंपनी भारत में कम से कम ₹4,150 करोड़ का निवेश करती है, तो उसे 15 प्रतिशत की रियायती आयात शुल्क पर 8,000 इलेक्ट्रिक वाहनों के आयात की अनुमति दी जाएगी। सामान्यतः यह शुल्क 70-100 प्रतिशत के बीच होता है, लेकिन यह छूट भारत में मैन्युफैक्चरिंग सेटअप शुरू करने के बदले दी जाएगी।
EV Manufacturers के लिए शर्तें और लाभ
EV policy India 2025 के अंतर्गत कंपनियों को भारत में 3 वर्षों के भीतर अपना निर्माण कार्य शुरू करना होगा और स्थानीय स्तर पर कम से कम 25 प्रतिशत Domestic Value Addition (DVA) करनी होगी। यह प्रतिशत 5 वर्षों में 50% तक बढ़ाना अनिवार्य होगा। यह कदम ‘Make in India’ और ‘Atmanirbhar Bharat’ को मजबूती देने वाला है।
Portal पर आवेदन के लिए जरूरी शर्तें:
- इसके अलावा कंपनियों को आवेदन के समय आवेदन के समय कंपनी या समूह की ऑटोमोटिव मैन्युफैक्चरिंग से वैश्विक राजस्व ₹10,000 करोड़ होना चाहिए।
- कंपनी का ग्लोबल निवेश (fixed assets में) ₹3,000 करोड़ से कम नहीं होना चाहिए।
- ₹5 लाख का non-refundable application fee देना होगा।
- साथ ही ₹4,150 करोड़ या जितना भी शुल्क सरकार माफ कर रही है – उसमें से जो अधिक हो – उतनी राशि की Bank Guarantee भी देनी होगी।
Portal पर आवेदन का समय:
EV कंपनियों के लिए यह एक बड़ा मौका है। Heavy Industries Ministry ने स्पष्ट किया है कि इस स्कीम के लिए आवेदन की अंतिम तिथि 21 अक्टूबर है, लेकिन ज़रूरत पड़ने पर मंत्रालय 15 मार्च 2026 तक कभी भी आवेदन विंडो फिर से खोल सकता है।
Tesla और Mercedes जैसी कंपनियों की प्रतिक्रिया
हालांकि Minister Kumaraswamy ने बताया कि Tesla फिलहाल भारत में केवल शोरूम खोलने और कार बेचने में रुचि दिखा रही है, मैन्युफैक्चरिंग को लेकर उनकी ओर से कोई ठोस प्रस्ताव नहीं है। दूसरी ओर, Mercedes-Benz ने योजना शुरू होने से पहले ही भारत में बड़े पैमाने पर निवेश कर दिया है। इसका मतलब यह है कि योजना में भाग लेने के लिए कंपनी को फिर से निवेश करने की आवश्यकता नहीं हो सकती।
कौन-कौन कर सकता है आवेदन?
सरकार ने स्पष्ट किया है कि केवल वही कंपनियां इस स्कीम का लाभ उठा सकती हैं जिनका:
- Global group revenue ₹10,000 करोड़ से अधिक हो
- Fixed asset में global investment ₹3,000 करोड़ या उससे अधिक हो
इसके अतिरिक्त, आवेदक द्वारा किया गया निवेश केवल नए संयंत्र, मशीनरी, उपकरण, इंजीनियरिंग R&D और 10% तक की इमारत लागत को ही मान्य किया जाएगा। भूमि पर किया गया निवेश इस योजना के अंतर्गत मान्य नहीं होगा।
चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर पर होने वाला खर्च केवल 5% तक ही गिना जाएगा।
नीति की अवधि और आवेदन की प्रक्रिया
अभी यह आवेदन विंडो 21 अक्टूबर 2025 तक खुली है, लेकिन Heavy Industries Ministry को अधिकार है कि वो आवश्यकता अनुसार 15 मार्च 2026 तक किसी भी समय इसे फिर से खोल सकती है। मंत्रालय ने विभिन्न देशों – जैसे अमेरिका, जर्मनी, UK, Czechoslovakia आदि – की एंबेसीज़ को इस योजना के लिए आमंत्रण भेजना शुरू कर दिया है।
हालांकि, जो देश भारत के साथ सीमा साझा करते हैं, जैसे चीन और पाकिस्तान, उनके लिए पहले से लागू निवेश प्रतिबंध जारी रहेंगे।

EV Policy India 2025 की मुख्य विशेषताएं
विवरण | जानकारी |
---|---|
योजना की शुरुआत | 15 मार्च 2024 |
आवेदन विंडो | 25 जून 2025 – 21 अक्टूबर 2025 |
न्यूनतम निवेश | ₹4,150 करोड़ |
रियायती आयात शुल्क | 15% (8,000 इलेक्ट्रिक वाहनों तक) |
DVA शर्त | 3 वर्षों में 25%, 5 वर्षों में 50% |
अधिकतम शुल्क माफी | ₹6,484 करोड़ प्रति आवेदक |
बैंक गारंटी | ₹4,150 करोड़ या जितना ड्यूटी माफ होगी – जो अधिक हो |
पात्रता | ₹10,000 करोड़ Global Revenue, ₹3,000 करोड़ Global Investment |
Eligible निवेश में क्या-क्या शामिल होगा?
सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि इस स्कीम के तहत किन खर्चों को मान्यता दी जाएगी:
निवेश क्षेत्र | मान्यता की स्थिति | अधिकतम सीमा |
---|---|---|
नई मशीनरी, संयंत्र और उपकरण | ✔️ पूरी तरह मान्य | कोई सीमा नहीं |
मुख्य भवन और यूटिलिटी संरचना | ✔️ लेकिन अधिकतम 10% निवेश तक | ≤10% |
EV चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर | ✔️ लेकिन अधिकतम 5% निवेश तक | ≤5% |
भूमि की कीमत | ❌ मान्य नहीं | – |
इंजीनियरिंग रिसर्च एंड डेवलपमेंट | ✔️ पूरी तरह मान्य | कोई सीमा नहीं |
इसका मतलब है कि सरकार केवल उस निवेश को मान्यता देगी जो वास्तव में भारत में उत्पादन और तकनीकी आधार मजबूत करता है।
भारत में EV Infrastructure और इसका महत्व
EV manufacturing को बढ़ावा देना केवल कार कंपनियों के लिए नहीं, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था, पर्यावरण और तकनीकी आत्मनिर्भरता के लिए भी जरूरी है। भारत जैसे विशाल बाजार में घरेलू उत्पादन से न केवल रोजगार बढ़ेगा, बल्कि आयात पर निर्भरता भी घटेगी। साथ ही, चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर, बैटरी R&D और स्पेयर पार्ट्स के इंडस्ट्री को भी बड़ा बल मिलेगा।
इस योजना से यह स्पष्ट संकेत मिलता है कि सरकार केवल EV वाहनों के उपभोग को नहीं, बल्कि पूरे EV Ecosystem को भारत में विकसित करना चाहती है।
निष्कर्ष: भारत EV Manufacturing का नया ग्लोबल हब बनने की राह पर
Electric Vehicle Industry में भारत अब सिर्फ एक ग्राहक नहीं, बल्कि एक निर्माता राष्ट्र (EV Manufacturing Country) बनने की दिशा में बढ़ रहा है। यह योजना (Electric Car Manufacturing Scheme) भारत को ग्लोबल EV मानचित्र पर महत्वपूर्ण स्थान दिला सकती है। यदि कंपनियां इस अवसर को पहचान कर निवेश करती हैं, तो आने वाले समय में भारत Tesla, Mercedes, Volkswagen जैसी कंपनियों की EV मैन्युफैक्चरिंग का हब बन सकता है।
इस समय EV इंडस्ट्री से जुड़े हर इंजीनियर, निवेशक और उद्यमी को इस योजना का गहन अध्ययन करना चाहिए और अपने बिजनेस मॉडल को इसके अनुरूप ढालना चाहिए। यह सिर्फ नीति नहीं, बल्कि भविष्य के भारत की ईंधनरहित यात्रा का नींव है।
Disclaimer: इस लेख में प्रयुक्त सभी आँकड़े और नीति विवरण भारत सरकार के Heavy Industries Ministry द्वारा प्रकाशित आधिकारिक सूचनाओं और 25 जून 2025 की खबर पर आधारित हैं। कृपया आवेदन करने से पहले संबंधित मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट पर योजना की नवीनतम जानकारी अवश्य पढ़ें।
और पढे: